“पार्किंसन” सुनकर ऐसा लगता होगा कि जैसे यह किसी व्यक्ति का नाम है लेकिन यह दरअसल एक बीमारी का नाम है। पार्किंसन रोग न्यूरॉन तथा मस्तिष्क से संबंधित एक बीमारी है जो मनुष्य में पचास की उम्र के बाद से अपना असर दिखाना शुरू करती है।
आज के अपने इस लेख में हम पर्किंसन रोग पर एक चर्चा करेंगे।
इसके साथ-साथ हम जियो मित्र ई क्लीनिक के द्वारा इस रोग के रोगियों के लिए किए गए कार्यों पर भी एक नजर डालेंगे। तो आइए सबसे पहले जानते हैं इस रोग के बैकग्राउंड के बारे में।
पार्किंसन रोग का इतिहास क्या है?
पार्किंसन दरअसल एक व्यक्ति का ही नाम था जिनके नाम पर इस बीमारी को भी नाम दे दिया गया। सन 1817 में जेम्स पर्किंसन नाम के एक अंग्रेजी फिजिशियन ने अपने एक निबंध में इस बीमारी का उल्लेख किया था। उन्होंने इस बीमारी को “शेकिंग पॉलसी” का नाम दिया था।
बाद में इस बीमारी का नाम शेकिंग पॉलसी से बदल कर पर्किंसन रोग रख दिया गया। जेम्स पर्किंसन का जन्म 11 अप्रैल सन 1755 में हुआ था। यही कारण है कि 11 अप्रैल को विश्व पर्किंसन दिवस मनाया जाता है।
पार्किंसन रोग क्या है?
पार्किंसन रोग मस्तिष्क से संबंधित एक बीमारी है। यह एक न्यूरो डिनेरेटिव डिजीज है जो मोटर सिस्टम और नॉन मोटर सिस्टम दोनों को प्रभावित करता है।
आसान शब्दों में समझें तो पर्किंसन रोग एक ऐसा रोग है जो मस्तिष्क के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों को बुरी तरह से प्रभावित करता है जिससे कि व्यक्ति को सामान्य गतिविधियों को करने में भी समस्या आती है। पार्किंसन रोग से पीड़ित व्यक्ति को शरीर का संतुलन बनाने में समस्या आती है। ऐसे रोगियों में कपकपांहट की परेशानी देखी जाती है।
पार्किंसन रोग के कारणों का अभी तक ठीक से पता नहीं किया जा सका है लेकिन कुछ केसेस में यह देखा गया है कि पर्किंसन रोग वंशानुगत होता है। वैसे तो पर्किंसन रोग का कोई इलाज नहीं उपलब्ध हो पाया है लेकिन इसके लक्षणों के कम करने कुछ उपाय अवश्य हैं।
पार्किंसन रोग किस को प्रभावित करता है?
जैसा कि यह बताया गया है कि पार्किंसन रोग के ठोस कारणों का पता नहीं चल पाया है लेकिन उम्र के बढ़ने के साथ-साथ इस रोग के लक्षणों में बढ़ोतरी देखी गई है। ज्यादातर ऐसे लोग जो 60 की उम्र पार कर चुके हैं उनमें पर्किंसन रोग का पाया जाना काफी साधारण हो गया है।
महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में इस रोग के पाए जाने का खतरा अधिक होता है। अधिक उम्र के लोगों में पार्किंसन रोग का पाया जाना साधारण है। कई बार 20 साल या इससे कम की उम्र में भी इस रोग के कई मामले पाए गए हैं लेकिन यह अत्यधिक दुर्लभ (रेयर) है।
पार्किंसन रोग के कितने मामले हो सकते हैं?
पार्किंसन रोग से पीड़ित कितने लोग हैं इसकी एक ठोस संख्या प्रस्तुत करना काफी मुश्किल है किंतु 60 की उम्र के बाद के लोगों में यह पाया जाना काफी साधारण है। विश्व में 60 की उम्र के पाए जाने वाले लगभग एक प्रतिशत लोगों में पार्किंसन रोग पाया जाता है।
उम्र बढ़ने के साथ-साथ इस रोग का बढ़ना साधारण है। उम्र संबंधी रोगों के मामले में रह रोग विश्व में दूसरे नंबर पर आता है।
पार्किंसन रोग का शरीर पर कैसा प्रभाव होता है?
हमारे मस्तिष्क में कई महत्वपूर्ण हिस्से पाए जाते हैं। मस्तिष्क में एक हिस्सा जिसका नाम बेसल गैंगलिया होता है वह काफी महत्वपूर्ण होता है। पर्किंसन रोग इसी हिस्से को प्रभावित करता है।
जैसे-जैसे मस्तिष्क का यह भाग खराब होता जाता है वैसे-वैसे पार्किंसन रोग के लक्षणों में भी बढ़ोतरी होती जाती है। हमारा मस्तिष्क न्यूरोट्रांसमीटर के जरिए सिग्नल्स को भेजता और वापस रिसीव करता है। न्यूरोट्रांसमीटर एक तरह के रासायनिक पदार्थ होते हैं जो मस्तिष्क की न्यूरॉन सेल्स को कंट्रोल करने का कार्य करते हैं।
जब किसी व्यक्ति को पार्किंसन रोग हो जाता है तो व्यक्ति के मस्तिष्क में डोपामिन की कमी हो जाती है जो कि एक महत्वपूर्ण रासायनिक पदार्थ है।
जब हमारा मस्तिष्क शरीर के किसी भी अंग को क्रिया करने का सिग्नल भेजता है तो ऐसे में उस अंग को प्रतिक्रिया देने में डोपामिन की आवश्यकता होती है। जब शरीर में डोपामिन की कमी होती है तो अंगों में शिथिलता की स्थिति देखी जाती है। आसान शब्दों में कहें तो डोपामिन की कमी से शरीर के अंग सही से काम नहीं कर पाते हैं और हमारा मोशन काफी धीमा हो जाता है।
जैसे-जैसे यह रोग बढ़ता जाता है वैसे वैसे मस्तिष्क काफी ज्यादा प्रभावित होने लगता है। यही कारण है कि व्यक्ति को डिमेंशिया और डिप्रेशन भी होने लगता है।
रोग के लक्षण
जियो मित्र ई क्लीनिक के साथ पार्किंसन रोग की चर्चा
सबसे पहले हम आपको बताते चलें कि पार्किंसन रोग संक्रामक नहीं होता। इसका मतलब है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि पार्किंसन रोग से पीड़ित लोगों को घबराना नहीं चाहिए। इसके निदान के कुछ तरीके हैं। आईए आज हम आपको जियो मित्र ई क्लीनिक से अवगत कराते हैं जिसके जरिए पर्किंसन रोग से पीड़ित कई लोगों को लाभ पहुंचा है।
जियो मित्र ई क्लीनिक काफी समय से ऐसे रोगियों को लाभ पहुंचाता आ रहा है जो अपनी बीमारी को लेकर काफी हताश व निराश रहते हैं।
पार्किंसन रोग के ऐसे कई केसेस हैं जिन पर जियो मित्र ई क्लीनिक कार्य कर रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि जियो मित्र ई क्लीनिक पर उपलब्ध अनुभवी और कुशल डॉक्टर रोगी को पूरे ध्यान से सुनते और समझते हैं।
ये डॉक्टर अपनी पूरी कुशलता के साथ रोगियों को समाधान उपलब्ध कराने के लिए कार्यरत हैं।
जियो मित्र ई क्लीनिक के पोर्टल पर पार्किंसन रोग के अनेक रोगियों ने अपना रजिस्ट्रेशन किया है जो देश-विदेश के बड़े और एक्सपर्ट डॉक्टर से अपना इलाज करवाना चाहते हैं। जियो मित्र ई क्लीनिक पर अपना केस रजिस्टर करना मुश्किल नहीं है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि रोगी अपनी ही भाषा में आराम से अपनी समस्या को डॉक्टर के सामने रख सकते हैं।
पार्किंसन रोग उम्र बढ़ने के साथ आने वाली एक समस्या है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति काफी कमजोर हो जाते हैं। यदि आप यह सोच रहे हैं कि इस बीमारी के कारण ज्ञात ही नहीं है तो इसको रोका कैसे जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं है। कुछ उपायों के माध्यम से हम रोग के लक्षणों को कम कर सकते हैं। हालांकि यह उपाय पूरी तरह से गारंटी नहीं लेते कि पार्किंसन रोग आगे चलकर होगा या नहीं किंतु हम हेल्दी जीवन के लिए इन्हें अपना सकते हैं।
सबसे पहले तो हमें अपनी लाइफ स्टाइल को सदैव अनुशासित रखना चाहिए। यदि हम अच्छा भोजन करते हैं और जंक फूड से बचते हैं तो हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। ऐसे में उम्र बढ़ने के साथ शरीर में एनर्जी बनी रहेगी।
यदि आप भी पार्किंसन रोग से पीड़ित हैं तो आपको निराश होने की आवश्यकता नहीं है। आप यह न सोचें कि इस बीमारी का तो कोई इलाज ही नहीं है। ऐसा नहीं है। आप इसके लक्षणों पर काबू पा सकते हैं। आप जियो मित्र ई क्लीनिक पर अपना अकाउंट बना सकते हैं और देश-विदेश के कुशल और एक्सपर्ट डॉक्टर से अपनी समस्या को डिस्कस कर सकते हैं।
ये डॉक्टर्स पार्किंसन रोग में आने वाली परेशानियों को बखूबी समझकर आपको उनसे निपटने के उपायों के बारे में बताएंगे।
इससे आपको भी थोड़ा आराम महसूस होगा। हालांकि यह भी सत्य है कि पार्किंसन रोग का कोई ठोस इलाज नहीं है लेकिन फिर भी हाथ पैर हाथ रखकर नहीं बैठा जा सकता। किसी भी तरह की समस्या होने पर डॉक्टरी परामर्श आवश्यक है।
महत्वपूर्ण बिंदु
इस लेख में बताए गए उपायों को पढ़कर आप सीधे तौर पर कोई भी उपचार करने से बचें।
आपको यदि कोई भी टिप्स अपनाना है तो पहले आप डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। डॉक्टरी परामर्श हेतु आपके लिए जियो मित्र ई क्लीनिक एक बेहतरीन प्लेटफार्म हो सकता है।