उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण नसों में रक्त का प्रवाह अधिक हो जाता है। हमारे शरीर में रक्त का प्रवाह एक निश्चित गति से होता है।यदि हेल्थ गाइडलाइंस या स्वास्थ्य निर्देशों की बात करें तो शरीर में रक्त का दबाव 120/80mmHg से अधिक नहीं होना चाहिए।
यदि रक्त का दबाव या प्रवाह इस निश्चित सीमा को पार कर जाता है तो ऐसे में शरीर में उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन की स्थिति पैदा हो जाती है।
हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप ना सिर्फ़ नसों के लिए ख़तरनाक है बल्कि ये शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों जैसे हृदय और दिमाग़ को भी नुक़सान पहुँचा सकता है।
हमारा हृदय रक्त को शुद्ध करने के लिए एक निश्चित गति से कार्य करता है। एक सामान्य रक्तचाप की स्थिति में हृदय को रक्त पंप करने में कोई परेशानी नहीं होती। ठीक इसके उल्टा यदि रक्तचाप बढ़ जाता है तो ऐसे में हृदय पर एक अलग दबाव पड़ना शुरू हो जाता है। इसके कारण हृदय को काफ़ी तेज़ी से कार्य करने की ज़रूरत पड़ती है। यह स्थिति हृदय के लिए ख़तरनाक है जो हार्ट अटैक को जन्म दे सकती है।
ब्लड प्रेशर की दो स्थितियां होती हैं। उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप। जब रक्त का दबाव अत्यधिक बिंदु पर होता है तो उसे सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहा जाता है। ठीक वहीं जब रक्त का दबाव या रक्तचाप सबसे निम्न बिंदु पर होता है तो उसे लोवेस्ट ब्लड प्रेशर या डिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहा जाता है।
हाइपरटेंशन दो प्रकार का होता है-
प्राइमरी हाइपरटेंशन वह स्थिति है जो किसी बीमारी के चलते नहीं होती। कई बार लोगों को बढ़ती उम्र के साथ उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है। इस स्थिति में लोग दवाइयों के द्वारा अपने रक्तचाप को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।
सेकेंडरी हाइपरटेंशन वह स्थिति है जो किसी बीमारी या उसके इलाज के तहत लेने वाली गोलियों के कारण होती है। सेकेंड्री हाइपरटेंशन कम उम्र में भी हो सकता है। इसी के साथ ये मानसिक स्थिति के सही न होने पर भी काफ़ी बढ़ जाता है।
रिसर्च के अनुसार लोगों में प्राइमरी हाइपरटेंशन की समस्या आम तौर पर देखने को मिलती है जो लगभग 90%-95% होती है। वहीं यदि बात करें सेकेंडरी हाइपरटेंशन की स्थिति की तो लगभग 5%-10% परसेंट लोगों की इस समस्या से जूझते हुए पाए जाते हैं।
ज़्यादातर लोगों में उम्र बढ़ने के साथ साथ उच्च रक्तचाप की समस्या बढ़ती है। इसके साथ ही उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के लिए कुछ और तत्व ज़िम्मेदार होते हैं। आख़िर ऐसे कौन से कारण हैं जिनसे उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन की समस्या हो जाती है। तो आइए बात करते हैं हाइपरटेंशन से सम्बंधित कुछ कारणों के बारे में।
1.) मोटापा
2.) धूम्रपान या स्मोकिंग
3.) शराब का सेवन
4.) असंतुलित आहार
5.) नींद की कमी
6.) तनाव या डिप्रेशन
7.) शारीरिक गतिविधि में कमी
ये सारे ही कारण उच्च रक्तचाप की समस्या को जन्म दे सकते हैं। इसी के साथ आपको बताते चलें कि हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप एक ऐसी समस्या है जो कई बार लोगों में नज़र नहीं आती। ऐसे कई मामले देखे गए हैं जिनमें उच्च रक्तचाप की समस्या तब पकड़ में आयी हो जब वह काफ़ी ख़तरनाक स्थिति पर पहुँच गई हो अर्थात जब वह सिस्टोलिक स्थिति को ग्रहण कर चुकी हो।
ज्यादातर लोगों को इस बीमारी के बारे में पता नहीं चलता है क्योंकि इसके लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते हैं।
हालाँकि हाईपरटेंशन के लक्षणों को पहचानना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन इसके बावजूद कुछ ऐसे संकेत हैं जिनके द्वारा उच्च रक्तचाप की समस्या को देखा जा सकता है। कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं-
- अत्यधिक सर में दर्द होना
- छाती में दर्द या दबाव
- स्पष्ट दिखाई न देना
- बेचैनी या घबराहट होना
- साँस फूलना
- शरीर का तापमान बढ़ जाना
- कभी कभी मूत्र में रक्त आना
- थकान महसूस होना
- भ्रम या इलुजन की स्थिति पैदा होना
हाइपरटेंशन हमारे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाती है जैसे-
1.) हाइपरटेंशन के कारण हृदय की धमनियां नष्ट होने का ख़तरा रहता है।
2.) हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप के कारण धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह तेज़ी से होने लगता है जिससे उनके फटने का डर बना रहता है। ये नसों और धमनियों को टाइट भी कर सकता है।
3.) हाइपरटेंशन की वजह से हृदय को अधिक कार्य करने का दबाव पड़ता है जिससे कि उसके ख़राब होने का ख़तरा बना रहता है।
4.) इसी तरह जब नसों में रक्त का प्रवाह तेज़ी से होने लगता है तो मस्तिष्क की कोशिकाओं और ऊतकों के ख़राब होने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है।
5.) उच्च रक्तचाप के कारण मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन और रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती है। ये ब्रेन डेड या मस्तिष्कों को नुक़सान पहुँचा सकता है। हाइपरटेंशन की वजह से दिमाग में ब्लड सप्लाई बहुत कम हो जाती है।
उच्च रक्तचाप की जाँच करने के लिए चिकित्सक मरीज़ के सम्पूर्ण शरीर की जाँच करता है। इससे उन्हें यह अंदाज़ा हो पाता है कि रक्तचाप किस स्तर तक ऊपर उठ गया है। उच्च रक्तचाप पर नज़र रखना ज़रूरी है। हालाँकि उच्च रक्तचाप के लक्षण शरीर में कई बार दिखाई नहीं देते लेकिन हो सकता है कि यह बीमारी शरीर में पनप रही हो। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि 20 साल से लेकर 40 साल तक के और उससे अधिक के लोग अपने शरीर का ख़ास ख्याल रखें। साल में एक बार रक्तचाप की जाँच अवश्य करवाएं।
रक्तचाप की जाँच करने के लिए चिकित्सा निम्नलिखित तरीक़ों को अपना सकते हैं जैसे-
1.) मूत्र की जाँच
2.) रक्त के द्वारा
3.) कोलेस्ट्रॉल की जाँच
4.) दिल की धड़कनों को मापकर (इलेक्ट्रियोकार्डियोग्राम)
हाईपरटेंशन या उच्च रक्तचाप के निवारण के लिए कुछ निर्देश हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। आइए देखते हैं कि वे क्या हैं-
1.) जिन लोगों को हाईपरटेंशन की समस्या है उन्हें चिकित्सा से परामर्श लेना ज़रूरी है।
2.) हाइपरटेंशन की समस्या से निजात पाने के लिए डॉक्टर के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।
3.) जिन दवाइयों को डॉक्टर ने लेने को कहा है उन्हें समय पर लें।
4.) समय समय पर अपने रक्तचाप को मापते भी रहें।
5.) यदि आपका किसी भी प्रकार का कोई अन्य इलाज चल रहा है तो ऐसे में किसी भी चीज़ या दवा का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर को संपूर्ण बात अवश्य बताएँ।
6.) चिकित्सक हाईपरटेंशन की समस्या को ख़त्म करने के लिए दवाइयां देते हैं। यदि दवाइयों से आराम नहीं हो पा रहा है या समस्या का निवारण नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में चिकित्सा हृदय प्रत्यारोपण या हार्ट ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया करने की सलाह भी दे सकते हैं।
अपनी जीवन शैली को नियमित बनाए रखें। अपने जीवन में अनुशासन का पालन करें। हर चीज़ को समय पर करें ताकि आपको मानसिक तनाव से न गुज़रना पड़े।
शरीर को फ़िट रखना काफ़ी ज़रूरी है। प्रतिदिन व्यायाम करने से ना सिर्फ़ शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है बल्कि फ़ालतू वसा भी शरीर से कम होती है।ये ना सिर्फ़ शरीर को सुडौल रखने में मदद करता है बल्कि व्यायाम से रक्तचाप का स्तर भी नियमित बना रहता है।
नमक भोजन के स्वाद बढ़ाने में काफ़ी ज़रूरी है लेकिन हमें नमक की एक निश्चित मात्रा ही अपने आहार में लेनी चाहिए। यदि नमक की ज़्यादा मात्रा का सेवन किया जाए तो ऐसे में रक्तचाप की समस्या हो सकती है।
वैसे भी जो लोग हाइपरटेंशन से जूझ रहे हैं उन्हें नमक का सेवन करने से मना किया जाता है। इसके अलावा जिन लोगों को हाईपरटेंशन नहीं भी है उन्हें भी नमक का इस्तेमाल सोच समझ कर करना चाहिए। अपने आहार में सब्ज़ियां, फल, मांस और दूध को शामिल करना भी एक अच्छा उपाय है।
आजकल की तनाव से भरपूर ज़िंदगी में रक्तचाप का सही ना होना एक आम समस्या हो गया है। ऐसे में मानसिक तनाव से बचने के लिए हमें कुछ ऐसी चीज़ों को करने की आवश्यकता होती है जिससे हम तनाव से बच सकें। मानसिक तनाव को कम करने के लिए योगा करना चाहिए। इसी के साथ संगीत सुन कर भी हम अपने मस्तिष्क को प्रसन्न कर सकते हैं।
रक्तचाप की समस्या से बचने के लिए पर्याप्त नींद का होना आवश्यक है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहाँ पर ये देखने को मिला है कि जो लोग पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं उन्हें रक्तचाप की समस्या हो जाती है। इसलिए अपने नींद के घंटों से समझौता बिलकुल भी ना करें।
इस लेख में हमने हाइपरटेंशन से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की है। इस लेख में बतायी गई समस्त बातें जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लिखी गई हैं। इन सभी बातों का अनुसरण करने से पूर्व आपको अपने स्वास्थ्य को एक बार जाँचना आवश्यक है।
यदि आपको पहले से कोई एलर्जी या समस्या है तो ऐसे में डॉक्टर के परामर्श के बग़ैर किसी भी बात का अनुसरण न करें।