पीरियड्स को माहवारी, महीना, रजोधर्म, मेंस्ट्रुअल साइकिल या एमसी आदि नाम से जाना जाता है। औरतों के अन्दर उनके शरीर में हार्मोन के बदलाव की वजह से योनि (वजाइना) से रक्तस्राव होता है। इसे पीरियड्स कहते हैं।
पीरियड्स महिलाओं को हर महीने होता है। इसमें अंडा गर्भाशय से बाहर निकल कर रक्त के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है।
अक्सर लड़कियों को 10 से 15 साल की उम्र के बीच पीरियड्स आना शुरू हो जाते हैं। पीरियड्स के आने की उम्र 9 साल होती है। पीरियड्स के आने का मतलब यह समझा जाता है कि अब लड़की बच्चा पैदा कर सकने के लायक है। ऐसा बहुत कम होता है कि 9 साल की उम्र में ही पीरियड्स सबको आ जाए। असल में पीरियड्स आने के लिए कोई सही उम्र नहीं है। यह 50-55 तक की उम्र तक ही रहता है।
1.) पीरियड्स के आने से पहले शरीर में बाल आने लगते हैं।
2.) टांगों, हाथों और अंडरआर्म्स में बाल आते हैं।
3.) यौन अंगों पर भी बाल आना शुरू हो जाते हैं।
4.) सीने में उभार पैदा हो जाता है।
ये लक्षण पीरियड्स शुरू होने का संकेत हो सकते हैं।
1.) तनाव की वजह से पीरियड्स में देरी हो सकती है।
2.) नशा करने से जैसे स्मोकिंग, शराब, बीड़ी, सिगरेट आदि की वजह से पीरियड्स रुक सकते हैं।
3.) सेहत ठीक न होने से भी पीरियड्स में देरी हो जाती है।
कैसे पता करें कि पीरियड्स आने वाला है?
1.) मुँहासों का निकलना
2.) सूजन होना
3.) स्तन में दर्द होना
4.) वजन का बढ़ना
5.) ध्यान लगाने में परेशानी होना
6.) सिर में दर्द
7.) पीठ में दर्द होना
8.) खाने की इच्छा बढ़ना
9.) अधिक खाना खाना
10.) थकान महसूस होना
11.) रूलाई आना
12.) चिड़चिड़ापन
13.) बैचेनी लगना
14.) मूड परिवर्तन होना
15.) अवसाद होना आदि
कुछ लड़कियों को 17 या 18 साल की उम्र तक पीरियड्स नहीं आता। ऐसा होने पर डॉक्टर से जॉंच कराना चाहिए। हो सकता है कि उसके शरीर के अंदर ही कहीं खून इकट्ठा हो रहा हो या हो सकता है कि उसके जननांगों या हार्मोन में कुछ दोष हो। जल्दी से इसका इलाज करवाएँ।
पीरियड्स के बारे में कई बातें आज के इतने विकसित युग में भी भारत के कई जगहों पर चर्चित हैं। भारत के कई हिस्सों में पीरियड्स को अपवित्र माना जाता है। पीरियड्स को लेकर लोगों के बीच कई तरह की बातें प्रचलित हैं। दादी नानी के जमाने से चली आ रही इन्हीं प्रचलित बातों की वजह से लोगों के मन में कुछ ऐसी धारणाएं बनी हुई हैं जो पूरी तरह से गलत हैं। महिलाओं को पीरियड्स होने पर ऐसी हिदायतें दी जाती हैं जिसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं होता परन्तु महिलाओं को इनका सामना करना पड़ता हैं। हालांकि ये सभी रूढ़िवादी भ्रमों के अलावा कुछ भी नहीं है। हम सभी को पीरियड्स के पीछे के साइंस को समझना चाहिए।
1. पैड के इस्तेमाल से ब्लीडिंग कम होती है
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है और न ही इस बात के कोई सबूत हैं कि पैड के इस्तेमाल से महिलाओं की ब्लीडिंग कम होने लगती है। पैड का इस्तेमाल करने से पीरियड्स के दौरान महिलाओं को आसानी और आराम महसूस होता है। यह पहले ज़माने में इस्तेमाल हो रहे कपड़ों की अपेक्षा ज़्यादा आरामदायक होता है। यही कारण है कि पीरियड्स के दौरान महिलाएँ पैड को इस्तेमाल करना ज़्यादा उचित समझती हैं।
2. पीरियड्स में महिलाएं ना नहा सकती हैं और न ही बाल धो सकती हैं
हाइजीन अर्थात सफ़ाई को बरकरार रखने के लिए रोज़ नहाना चाहिए फिर चाहे पीरियड्स के दिन ही क्यों न हों। बाल धुलने से महिलाओं की पीरियड्स की ब्लीडिंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पीरियड्स के दौरान सफ़ाई का ख़ास ख्याल रखना चाहिए अन्यथा इन्फेक्शन या संक्रमण का ख़तरा बढ़ सकता है।
3. भाग दौड़ से मना करना
पीरियड्स के दौरान लड़कियो को दौड़ने भागने, खेलने-कूदने, नृत्य करने तथा व्यायाम आदि करने से मना किया जाता है ताकि दर्द कम हो और आराम मिले जबकि यह बिल्कुल ग़लत है। ज़्यादा आराम करने से शरीर में रक्त का संचार अच्छे से नहीं हो पाता और दर्द भी अधिक महसूस होता है। पीरियड्स के दौरान खेलने कूदने, व्यायाम करने से आपके शरीर में खून और ऑक्सीजन का बहाव तेज़ हो जाता है जिससे पेट में दर्द और ऐंठन जैसी समस्याएं नहीं होती। इसलिए पीरियड्स के दौरान हल्का खेलकूद और व्यायाम करना उचित है। पीरियड्स के दौरान आराम करना चाहिए और डॉक्टरी सलाह के अनुसार थोड़ा व्यायाम भी करना चाहिए लेकिन याद रहे यह व्यायाम ज़्यादा कठिन न हों।
4. अचार छूने से मना करना
पीरियड्स में घर की बूढ़ी औरतें कहती हैं कि अचार को मत छूना वरना अचार ख़राब हो जाएगा जबकि ये सच नहीं हैं। पीरियड्स के दौरान महिलाओं की योनि से रक्तस्राव होता है लेकिन इसका ये मतलब नहीं होता कि उनके पूरे शरीर पर गंदगी आ गई। पीरियड्स में लड़की के शरीर या हाथों में बैक्टीरिया नहीं होते इसलिए अचार को छूने से वह ख़राब हो सकता है। अचार सिर्फ गीलेपन या पानी से भीगे हाथ से छूने से ही खराब होता हैं फिर चाहे उसे कोई पीरियड्स वाली महिला छुए या कोई सामान्य व्यक्ति।
पीरियड्स एक सामान्य सी प्रक्रिया है पर हमारे भारतीय समाज में इसे एक बीमारी की तरह ट्रीट किया जाता है। पीरियड्स को अशुद्ध माना जाता है। यह सब गलत बात है। इस सोच को बदलना ज़रूरी है।
5. पीरियड्स का ज्यादा आना
पीरियड्स के दौरान अधिक खून आने का यह मतलब बिलकुल नहीं है कि वह लड़की अजीब या ऐब्नॉर्मल है। कभी कभी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को ज़्यादा खून आता है तो कभी कम। यह एक सामान्य प्रक्रिया है इसका किसी पुरानी बात से कोई लेना देना नहीं है।
6. पीरियड्स में खट्टी चीज़ों से मना करना
यह बात तो लगभग सभी महिलाएँ अपने पीरियड्स के दौरान सुनती और देखती ही हैं। पीरियड्स में खट्टा खाने से मना किया जाता है हालांकि ऐसी कोई बात नहीं है। पीरियड्स के दौरान खट्टी चीज़ें खाने से कोई नुक़सान नहीं होता बस एक चीज़ का ख़याल रखें कि अति बुरी होती है इसलिए खट्टी चीज़ों को खाएं लेकिन अत्यधिक मात्रा में नहीं।
7. पीरियड्स में निकलने वाला खून गंदा होता है
पीरियड्स के दौरान निकलने वाला खून नॉर्मल होता है। वेजाइना से निकलने वाले खून में वेजाइना के टिश्यू, सेल्स, और एस्ट्रोजन हॉर्मोन के कारण बच्चेदानी में खून और प्रोटीन के टुकड़े होते हैं। ये पीरियड्स के खून के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती हैं क्योंकि शरीर को इनकी ज़रूरत नहीं होती। यही कारण है कि पीरियड्स में निकलने वाले खून को गंदा माना जाता है जबकि यह नसों में बहने वाले खून के जैसा ही होता है।
8. पीरियड्स एक हफ्ते चलना ही चाहिए
यह धारणा भी मेडिकल दृष्टि से सही नहीं है। पीरियड्स की अवधि वैसे तो सात दिन तक मानी जाती है लेकिन कुछ महिलाओं को 2-3 दिन में ही खून आना बंद हो जाता है। यह बिलकुल सामान्य सी बात है। पीरियड्स कम से कम तीन दिन और ज्यादा से ज्यादा दस दिन तक होता है। कई महिलाओं को 3 दिन, किसी को 5 दिन और किसी किसी को पीरियड्स के दौरान सात दिन तक रक्तस्राव हो सकता है। एस्ट्रोजन एक प्रकार का हॉर्मोन होता है जो आपके शरीर की चीज़ों को कंट्रोल करता है, जैसे कि शरीर के बाल, आवाज़, सेक्स करने की इच्छा आदि।
इसी एस्ट्रोजन के कारण हर महीने बच्चेदानी या यूट्रस में खून और प्रोटीन की एक परत बनती है। शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन की मात्रा के हिसाब से खून और प्रोटीन की मोटी या पतली परत बनती है। अगर परत मोटी है तो पीरियड्स में खून ज़्यादा बहता है और अगर पतली है तो कम। इसी बात पर यह निर्भर करता है कि पीरियड्स का साईकिल एक हफ़्ते का होगा या उससे कम।
9. पीरियड्स के दौरान प्रेगनेंसी नहीं होना
ये पूरी तरह सच नहीं है। सेक्स के दौरान अगर स्पर्म वजाइना के अंदर रह जाये तो वो सात दिनों तक जिंदा रहते हैं यानी अगले सात दिनों तक प्रेगनेंसी का मौक़ा होता है। इसलिए पीरियड्स के दौरान भी कंडोम का इस्तेमाल करना ज़रूरी है।
10. पीरियड्स में पेड़ पौधों को नहीं छू सकते
कई लोग इस धारणा पर भरोसा करते हैं कि पीरियड्स के दौरान अगर महिलाओं की छाया किसी पेड़ पर पड़ेगी तो वह सूख जाएगा। हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। पीरियड्स में महिलाओं को अपनी देखभाल करने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और उसके परिजनों को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए।
11. पीरियड्स में अपवित्र होती हैं महिलाएं
पीरियड्स में महिलाओं को रसोई घर में जाने की अनुमति नहीं देते। उन्हें अशुद्ध मानते हैं। हालांकि ऐसी कोई बात नहीं होती। इस भावना को दूर करना चाहिए। जो लोग ऐसी फालतू चीजों को मानकर महिलाओं से पीरियड्स के दौरान भेदभाव करते हैं उन्हें सांस्कृतिक वर्जनाओं और कठोर परंपराओं के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
1.) पीरियड्स के दौरान हमेशा अच्छे पैड का ही इस्तेमाल करें। अपने पीरियड्स के अनुसार पैड का चुनाव करें। ऐसे पैड जिनमें ख़ुशबू या परफ्यूम होती है उनका इस्तेमाल न करें। बेहतर है कि आप कॉटन पैड का इस्तेमाल करें।
2.) अगर आपको लग रहा है कि रक्त का प्रवाह ज्यादा हो रहा है तो आप लंबे पैड्स का इस्तेमाल करें।
3.) अगर रक्त का प्रवाह कम है तो आप छोटे पैड्स का चुनाव कर सकती हैं।
4.) रात को सोते वक्त विशेष पैड का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
5.) हर 5 घंटे में पैड बदलना ज़रूरी है।
6.) रात को सोते समय वेजाइना अथवा योनि को एक बार पानी से साफ जरूर करना चाहिए।
7.) रात में पैड बदलकर करके सोएं। पुराने पैड का इस्तेमाल ना करें।
1.) पीरियड्स के दौरान खाने को लेकर किसी तरह की लावरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यह सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इन बातों का ध्यान रखें-
2.) फलों का इस्तेमाल करें।
3.) मछली खाएं।
4.) साबुत आहार खाएं।
5.) मेवा खाएं।
6.) चाय पी सकते हैं।
7.) गुनगुना पानी इस्तेमाल करें।
8.) हरी पत्तेदार सब्जियां खाएँ।
9.) ग्रीन टी, नट्स व फाइबर युक्त चीजें लें।
10.) दलिया का सेवन करें।
1.) रेडमीट को खाने से बचें।
2.) मीठा ना खाएं।
3.) चिप्स व एनर्जी ड्रिंक का सेवन न करें।
4.) कॉफी का न पिएं।
महिलाओं में पीरियड्स का सही समय पर आना या ना आना शरीर में हार्मोनल बैलेंस पर निर्भर करता है। सही समय पर पीरियड्स न आने से महिलाओं में कई तरह की बीमारी का भी खतरा बढ़ जाता है।
जो महिलाएं ज़्यादा पास्ता और चावल खाती हैं उन्हें एक से डेढ़ साल पहले पीरियड्स आना शुरू हो जाते हैं।
आमतौर पर शुरुआती पीरियड्स में सबसे अधिक खून निकलता है और अंत में सबसे कम होता है । जब पहली बार पीरियड्स होते हैं तब बहुत हैवी पीरीयर्ड साइकल हो सकती है और फिर बाद में हल्की भी हो सकती है।
पीरियड्स से जुड़ी ऐसी बहुत सी बातें हैं जो सच नहीं है और हमने उन्हीं बातों को अपने इस लेख में बताया है। पीरियड्स महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है और इसे लेकर किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। पीरियड्स से जुड़ा हुआ सही ज्ञान महिलाओं को देना आवश्यक है। हम आशा करते हैं कि इस लेख के द्वारा आप पीरियड्स से सम्बंधित महत्वपूर्ण बातों के विषय में जान गए होंगे। आप अपने सवालों और सुझावों को कॉमेंट बॉक्स में लिखकर हमसे शेयर कर सकते हैं। इसके साथ ही यह लेख और लोगों के साथ शेयर करें ताकि उन्हें भी पीरियड्स से संबंधित महत्वपूर्ण ज्ञान का पता चले।