क्या आपको एंज़ाइटी से सम्बंधित ये महत्वपूर्ण बातें पता हैं?
इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जो ये कह सके कि उसने कभी बेचैनी का अनुभव नहीं किया। दरअसल बेचैनी एक ऐसी भावना है जो ज़िंदगी में किसी ख़ास मौक़े पर देखी जाती है। बेचैनी का सीधा संबंध घटनाओं और सोचने की क्षमता से है। बेचैनी को एंज़ाइटी के नाम से भी जानते हैं। एक शोध के अनुसार, अमेरिका के लगभग चार करोड़ लोग एंज़ाइटी डिसॉर्डर या बेचैनी रूपी मानसिक विकार का सामना करते हैं।
एंज़ाइटी किसी भी परेशान करने वाली घटना के बारे में सोचने से उत्पन्न होती है। ये वैसे तो मानसिक विकार है लेकिन शारीरिक रूप से भी ये हमें काफ़ी ज़्यादा प्रभावित कर सकती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि बेचैनी या एंज़ाइटी एक ऐसा विकार है जो ह्रदयाघात या हार्ट अटैक तक का कारण बन सकती है।
चूँकि एंज़ाइटी एक ख़तरनाक मानसिक विकार है इसलिए इससे छुटकारा पाना बेहद ज़रूरी है। आज का हमारा लेख एंज़ाइटी से निपटने हेतु कुछ आसान और महत्वपूर्ण तरीक़ों से संबंधित है। ये तरीक़े ऐसे हैं जिनको आप सीधे तौर पर लागू कर सकते हैं। इन तरीक़ों के बारे में जानने से पहले हमें ये जानना ज़रूरी है कि एंज़ाइटी कितने प्रकार की हो सकती है। तो आइए आपको एंज़ाइटी के पाँच ऐसे प्रकार बताते हैं जो आपको कभी न कभी देखने या सुनने में अवश्य मिल जाते हैं।
एंज़ाइटी के प्रकार
सामान्य बेचैनी या जनरलाइज्ड एंज़ाइटी डिसॉर्डर मानसिक तनाव या अवसाद के कारण होता है। यदि कोई व्यक्ति एक लंबे समय से मानसिक तनाव और अवसाद का सामना कर रहा है तो ऐसे में उसे समय समय पर एंज़ाइटी को भी झेलना पड़ सकता है।
एक व्यक्ति अपनी पर्सनालिटी के आधार पर दो प्रकार का हो सकता है; इंट्रोवर्ट और एक्सट्रोवर्ट।
इंट्रोवर्ट उन लोगों को कहते हैं जो लोगों से ज़्यादा बातचीत करना पसंद नहीं करते हैं और ज़्यादातर रिज़र्व रहते हैं।
ये भी कह सकते हैं कि इंट्रोवर्ट टाइप के लोग दूसरों से घुलने मिलने में इतना विश्वास नहीं करते और अपनी दुनिया में ही मगन रहते हैं।
जब इंट्रोवर्ट टाइप के लोगों को दूसरे लोगों से मिलने के लिए कहा जाता है तो ऐसे में उन्हें एक प्रकार की एंज़ाइटी का अनुभव होता है। ये सोशल फोबिया या सोशल एंज़ाइटी डिसॉर्डर हो सकता है।
कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे दूसरे लोगों से मिलने में दिलचस्पी नहीं होती है और उसे घुलने मिलने के बारे में सोचने पर भी घबराहट महसूस होती है तो ऐसे लोग सोशल फोबिया के शिकार होते हैं। ये घबराहट दरअसल सोशल एंज़ाइटी डिसॉर्डर होती है जो एंज़ाइटी का ही एक प्रकार है।
जब कोई व्यक्ति लगातार अवसाद और तनाव का सामना करता है और बार बार भयावह घटनाओं को झेलता है तो ऐसे में उसे पैनिक अटैक आना शुरू हो जाते हैं। ये पैनिक अटैक एंज़ाइटी के कारण जन्म लेते हैं। ये भी एंज़ाइटी का ही एक प्रकार है। पैनिक डिसऑर्डर बेहद ख़तरनाक हो सकता है। यदि पैनिक डिसऑर्डर की स्थिति को संभाला ना जाए तो ऐसे में व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है।
ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसॉर्डर यानी OCD भी एंज़ाइटी डिसॉर्डर का ही एक प्रकार है।
ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति एक ही प्रक्रिया को बार बार दोहराता है। ऐसा दरअसल बेचैनी के कारण होता है।
ये भी कह सकते हैं कि ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसॉर्डर से पीड़ित व्यक्ति को संतुष्टि का अनुभव नहीं होता है जो लगातार बेचैनी को जन्म देता है। व्यक्ति अपनी इस बेचैनी को कम करने के लिए एक ही प्रक्रिया को बार बार दोहराता है और इससे उसे काफ़ी कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है।
यदि कोई व्यक्ति किसी भयावह घटना का अनुभव करता है तो ऐसे में उस घटना से संबंधित चीज़ों या लोगों के प्रति उस व्यक्ति के दिल और दिमाग़ में डर बैठ जाता है। जब ये डर सामान्य से अधिक हो जाता है तो उसे फोबिया कहते हैं। व्यक्ति को फोबिया कई कारणों और चीज़ों से हो सकता है। ये भी बेचैनी को जन्म देता है।
जब कोई व्यक्ति किसी भयावह घटना से गुज़रता है तो इस घटना के बाद व्यक्ति में एक एंज़ाइटी डिसॉर्डर का जन्म होता है जिसे पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर कहते हैं।
ये तो हो गये एंज़ाइटी के प्रकार। आइए अब हम देखते हैं कि किन कारणों से हमें एंज़ाइटी का सामना करना पड़ सकता है।
एंज़ाइटी के निम्नलिखित ये कारण हो सकते हैं-
इसके अलावा भी कई ऐसे मानसिक विकार हैं जिनके कारण एंज़ाइटी हो सकती है। आपने OCD का नाम अवश्य सुना होगा। ओसीडी/OCD का फ़ुल फ़ॉर्म ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर होता है और ये एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण व्यक्ति को एंज़ाइटी होती है। ये भी कहा जा सकता है कि OCD बेचैनी के कारण उत्पन्न होती है और बेचैनी को ही जन्म देती है।
ह्रदय को झकझोर देने वाली घटनाओं को देख या सुन कर भी व्यक्ति को बेचैनी महसूस हो सकती है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति आप से रोड एक्सीडेंट के बारे में बात करता है या आप किसी का रोड एक्सीडेंट देखते हैं तो ऐसे में आपको घबराहट और एंज़ाइटी हो सकती है।
एंज़ाइटी होने पर क्या महसूस होता है?
एंज़ाइटी होने पर शरीर बेहद अलग तरह की गतिविधियाँ दिखाने लगता है जैसे-
अचानक ही दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं।
ठंडे व सामान्य मौसम में भी पसीना आने लगता है।
साँसों की गति भी बढ़ सकती है।
अचानक से बीपी बढ़ना या बीपी घटना दोनों ही देखने को मिल सकता है।
कुछ लोगों में एंज़ाइटी होने की स्थिति में चक्कर आने की समस्या भी देखी गई है।
एंज़ाइटी डिसॉर्डर से छुटकारा
एंज़ाइटी डिसॉर्डर से छुटकारा पाने के कुछ महत्वपूर्ण तरीक़े निम्नलिखित हैं। तो आइए देखते हैं कि वे क्या हैं?
एंज़ाइटी उन स्थितियों के कारण जन्म लेती है जो स्थितियां हमें परेशान करती हैं। सरल शब्दों में कहें तो किसी भी तनावपूर्ण स्थिति या आने वाली परेशानी को सोचकर हमें एंज़ाइटी का अनुभव हो सकता है। ऐसे में ये बात ज़रूरी है कि हम सच्चाई को समझें। जी हाँ किसी भी स्थिति में बेचैन होकर ख़ुद को परेशान करने से अच्छा ये रहेगा कि हम ये समझने की कोशिश करें कि वास्तव में परेशानी किस वजह से हो रही है। जब हमें परेशानी का कारण समझ में आ जाएगा तो हम उसके हल के बारे में भी सोचेंगे। इस तरह सच्चाई की खोज करना भी एंज़ाइटी को कम करने में मदद कर सकता है।
सबसे पहले तो अपने सोने और जागने के समय को व्यवस्थित करें। अपने कार्य के दौरान बीच बीच में आराम भी करते रहें।
एंज़ाइटी अनेक मानसिक विकारों जैसे तनाव और अवसाद के कारण पैदा होती है। ऐसे में हमें ये कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें। एक पावर नैप या झपकी लेने से भी हमारा मन शांत हो जाता है और मस्तिष्क में सकारात्मकता का संचार होता है। इसलिए हमें समय समय पर आराम करते रहना चाहिए।
जो कार्य हमें दिए जाएं उन्हें अनुशासित रूप से समय पर करके भी हम एंज़ाइटी की समस्या से बच सकते हैं।
कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि लोग अतीत की किसी निराशाजनक या दुख भरी घटना को याद करके अचानक से बेचैनी महसूस करने लगते हैं। कई बार इस तरह की एंज़ाइटी का स्तर इतना ज़्यादा बढ़ जाता है कि व्यक्ति को संभालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि हम अपने अतीत को भुलाने की कोशिश करें। कोई भी ऐसी घटना जो भूतकाल में घटी है वो कभी लौटकर नहीं आएगी। उस घटना से संबंधित समस्त बातों और उसके परिणामों को भुलाने की आवश्यकता को महसूस करें और अपने अतीत को भुला दें। आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए आज में जिएँ और ख़ुश रहें।
जिन लोगों को नहीं मालूम कि ट्रिपल रूल क्या होता है तो हम उन्हें बता दें कि ये मस्तिष्क को शांत करने और बेचैनी को कम करने में मदद कर सकता है। जब भी आपको ऐसा लगे कि आपकी एंज़ाइटी का स्तर बढ़ रहा है तो आप तुरंत अपने आस पास देखें। आपको अपने आस पास की किन्हीं तीन चीज़ों को देखना है और उन चीज़ों का नाम लेना है। इसके पश्चात अपने टखने, अंगुलियों और हाथों को हिलाएं। ऐसा करने से आपके दिमाग़ में चल रहे विचारों की रफ़्तार में कमी आएगी। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि आप अपना ध्यान भटकाने में भी सफल रहेंगे जिससे बेचैनी के स्तर को कम करने में मदद मिलेगी।
कई बार ऐसा देखा गया है कि जब हम किसी भी कार्य को नहीं कर रहे होते हैं और ख़ाली बैठे होते हैं तो ऐसे में हमारा दिमाग़ किसी ना किसी बात को लेकर परेशान रहता है। हमारे दिमाग़ में अनेक विचार आने शुरू हो जाते हैं।
ज़्यादातर ये विचार नकारात्मक होते हैं जिनके कारण बेचैनी पैदा होती है। इस स्थिति से बचने के लिए ख़ुद को किसी न किसी काम में लगाकर रखें। इसका अर्थ यह है कि आप ख़ाली समय में किसी किताब को पढ़ें या कोई ऐसा कार्य करें जो आपको अच्छा लगता है। आप अपने आस पास के लोगों से बातचीत भी कर सकते हैं।
कन्क्लूजन
आज के अपने इस लेख में हमने दिन प्रतिदिन होने वाली एंज़ाइटी के संबंध में चर्चा की है। हम आशा करते हैं कि इस लेख के माध्यम से आपको महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी। लेख से संबंधित किसी भी प्रकार के सवाल या सुझाव को आप कॉमेंट बॉक्स में लिखकर हमारे साथ शेयर कर सकते हैं।