आजकल की बदलती जीवनशैली तथा ग़लत खानपान कई बीमारियों को सीधा निमंत्रण दे रही है। आज लोग जंक फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स इत्यादि का बेहद शौक़ से सेवन करने लगे हैं।इससे लोग न सिर्फ़ मोटापे का शिकार हो रहे हैं बल्कि वे गठिया या अर्थराइटिस जैसी पीड़ादायक बीमारी की चपेट में भी आ रहे हैं।
जी हाँ, अर्थराइटिस(Arthritis) या गठिया(Gathiya)रोग आज लोगों में बहुत तेज़ी से फैल रहा है। ये रोग आज ना सिर्फ़ बूढ़े लोगों में ही देखने को मिलता है बल्कि इसकी चपेट में नौजवान लोग भी आ रहे हैं।अर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के शरीर में काफ़ी दर्द होता है। अर्थराइटिस घुटनों और कूल्हे की हड्डियों पर अधिक प्रभाव डालता है। इस रोग से पीड़ित लोग अपने हाथ पैर को हिलाते वक़्त काफ़ी तक़लीफ का सामना करते हैं।
आज के अपने इस लेख में हम अर्थराइटिस से सम्बंधित महत्वपूर्ण बातों की चर्चा करेंगे। तो आइए अपने इस लेख की शुरुआत करते हैं।
अर्थराइटिस जोड़ों से संबंधित एक समस्या है। इस रोग में व्यक्ति के जोड़ों में दर्द होता है तथा उनमें सूजन आ जाती है। अर्थराइटिस शरीर के किसी एक जोड़ या एक से अधिक जोड़ को प्रभावित कर सकता है। वैसे तो अर्थराइटिस कई प्रकार का होता है लेकिन दो प्रकार की अर्थराइटिस बेहद सामान्य तौर पर देखने को मिलती है। ये दो प्रकार की अर्थराइटिस ऑस्टियो अर्थराइटिस(Osteoarthritis) और रूमेटाइट अर्थराइटिस(Rheumatoid Arthritis) है।
जोड़ों में उपस्थित ऊतक जोड़ों की सही फंक्शनिंग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब जोड़ों में किसी प्रकार की कोई क्षति होती है तो ऐसे में जोड़ों में जलन होती है तथा ऊतकों को नुक़सान होता है। फलस्वरूप अर्थराइटिस की समस्या जन्म लेती है।हमारे शरीर की हड्डियों में उपस्थित जोड़ काफ़ी महत्वपूर्ण होते हैं। शरीर में जोड़ दरअसल वह स्थान होते हैं जहाँ पर दो हड्डियाँ आपस में मिलती हैं।जोड़ों के कारण ही हम अपने किसी भी अंग को मोड़ने में सक्षम होते हैं जैसे घुटने और कोहनी। इन जोड़ों के कारण ही हम अपनी कोहनी और घुटने को मोड़ पाते हैं।
अर्थराइटिस की बीमारी पैसठ(65) वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखने को ज़्यादा मिलती है परंतु आज कल ये बीमारी युवा उम्र के व्यक्तियों को भी अपनी चपेट में ले रही है।
हमारी हड्डियों के जोड़ों में ऊतक पाए जाते हैं। इन्हीं ऊतकों में से एक ऊतक जिसे कार्टीलेज के नाम से जाना जाता है वह हड्डियों के जोड़ों की फंक्शनिंग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।जब व्यक्ति के शरीर में हलचल होती है अर्थात वह चलता है तो उसके जोड़ों पर काफ़ी दबाव पड़ता है। कार्टीलेज ऊतक ऐसी स्थिति में उस दबाव और प्रेशर को अवशोषित कर लेता है और हड्डियों को डैमेज होने से बचाता है। जब शरीर में कार्टीलेज उत्तकों की मात्रा में गिरावट होने लगती है तो ऐसे में शरीर गठिया का शिकार होने लगता है। इस प्रकार अर्थराइटिस का एक कारण शरीर में कार्टीलेज उत्तकों की कमी का होना है। इसी के साथ साथ जब किसी व्यक्ति को चोट लगती है तो ऐसे में हड्डियों पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है। इससे ऑस्टियो आर्थराइटिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ये गठिया के एक सामान्य रूप का उदाहरण है।जब जोड़ों में किसी प्रकार का कोई संक्रमण या चोट होती है तो ऐसे में भी कार्टीलेज ऊतकों की संख्या कम होने लगती है। ये भी गठिया का कारण बनता है।
अर्थराइटिस की बीमारी वंशानुगत तौर पर भी देखने को मिलती है। यदि परिवार में कभी किसी को अर्थराइटिस की बीमारी रही है तो ऐसे में आने वाली पीढ़ियों में इस बीमारी की प्राकृतिक रूप से होने की संभावना काफ़ी अधिक हो जाती है।प्रतिरक्षा प्रणाली के सही से कार्य न करने की स्थिति में रूमेटाइट अर्थराइटिस जन्म ले सकता है। रूमेटाइट अर्थराइटिस ऑटो इम्यून डिसॉर्डर के फलस्वरूप होता है। ऑटो इम्यून डिसॉर्डर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र ही शरीर की कोशिकाओं और उत्तकों पर हमला करना शुरू कर देता है। जब प्रतिरक्षा तंत्र ऊत्तकों पर हमला करता है तो ऐसे में जोड़ों में पाया जाने वाला एक नर्म टिशू जिसे सिनोवियम कहते हैं वह काफ़ी ज़्यादा प्रभावित होता है। ये सिनोवियम नामक नर्म टिशू शरीर में एक लिक्विड बनाता है जिससे कार्टीलेज ऊतक को पोषण और नमी मिलती है।इस सिनोवियम नामक नर्म टिशू के डैमेज होने से लिक्विड की मात्रा का स्तर घटने लगता है। इससे कार्टीलेज ऊतक को पोषण नहीं मिल पाता। फलस्वरूप कार्टीलेज ऊतक प्रभावित होने लगता है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार इम्यून सिस्टम के सही से ना कार्य करने के कारण रूमेटाइट अर्थराइटिस के चान्सेस बढ़ जाते हैं लेकिन इसके साथ साथ हॉर्मोन्स, वंशानुगत जीन्स तथा पर्यावरणीय कारकों का भी इस बीमारी पर काफ़ी असर पड़ता है। ये सारे ही कारक रूमेटाइट अर्थराइटिस के चांसेस को बढ़ा सकते हैं।
1.) बार बार बुखार आना
2.) मांसपेशियों में दर्द रहना
3.) हमेशा थकान और सुस्ती महसूस होना
4.) ऊर्जा के स्तर में गिरावट आना
5.) भूख की कमी हो जाना
6.) वज़न का घटने लगना
7.) जोड़ों में दर्द की समस्या
8.) सामान्य मूवमेंट पर भी शरीर में असहनीय दर्द होना
9.) शरीर का टेम्परेचर बढ़ जाना अर्थात शरीर का गर्म हो जाना
10.) शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाना
11.) जोड़ों के आस पास की त्वचा पर गाँठें बन जाना
ये सारे ही लक्षण अर्थराइटिस के हो सकते हैं। अर्थराइटिस की समस्या से जूझ रहा व्यक्ति कभी कभी असहनीय दर्द का सामना करता है। व्यक्ति इतना कमज़ोर होने लगता है कि वह दो क़दम चलने पर भी थकान महसूस करता है। इसी के साथ साथ उसे चलने फिरने तथा बैठने में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान उसे जोड़ों में दर्द की समस्या भी हो सकती है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति काफ़ी कमज़ोर हो जाता है तथा उसका इलाज कराना काफ़ी ज़रूरी होता है।आइए इसी क्रम में हम बात करते हैं कि अर्थराइटिस का किस तरह निवारण किया जा सकता है।
वैसे तो अर्थराइटिस आजीवन रहने वाली एक बीमारी है जिस को जड़ से नहीं ख़त्म किया जा सकता लेकिन कुछ उपायों के द्वारा इस रोग की पीड़ा से छुटकारा पाया जा सकता है। अर्थराइटिस व्यक्ति के आंतरिक अंगों और जोड़ों पर बुरा प्रभाव डालता है तथा व्यक्ति को काफ़ी दर्द का सामना भी करना पड़ता है। कुछ उपायों को अपनाकर हम अर्थराइटिस के अत्यधिक तीव्र दर्द को कम भी कर सकते हैं। तो आइए देखते हैं कि वे क्या हैं-
1.) नहाते समय अपने पानी को गुनगुना रखें। कोशिश करें कि आप गुनगुने पानी से ही नहाएं। इससे आपके शरीर में अर्थराइटिस के दर्द को कम करने की क्षमता उत्पन्न होगी।
2.) अर्थराइटिस रोगियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण सलाह यही है कि वे समय समय पर डॉक्टर से संपर्क करें। इस रोग के दर्द से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर ही सही सलाह दे सकता है।
3.) वज़न कम करें। जी हाँ, कोशिश करें कि आपके शरीर पर वसा का अतिरिक्त जमाव ना हो। यदि आपका वज़न बढ़ जाता है तो ऐसे में आर्थराइटिस की समस्या और ज़्यादा परेशानी का सबब बन सकती है।
4.) व्यायाम करना भी काफ़ी फ़ायदेमंद होता है। डॉक्टर तथा एक्सपर्ट की सलाह से व्यायाम करें। इससे शरीर में मूवमेंट होगी जो जोड़ों की फंक्शनिंग को ठीक कर सकता है।
जी हाँ अर्थराइटिस के दर्द से मुक्ति पाने के लिए कुछ घरेलू उपचार है जो किए जा सकते हैं-
1.) गठिया के रोगियों को ज़ैतून के तेल से जोड़ों की मालिश करनी चाहिए। इससे दर्द का स्तर कम हो जाता है।
2.) स्टीम बाथ या भाप से स्नान करने पर भी गठिया के रोगियों को काफ़ी फ़ायदा पहुँच सकता है।
3.) सोने जाने से पूर्व गठिया के रोगियों को जोड़ो पर सिरके से मसाज करनी चाहिए। ये भी दर्द को कम कर सकता है।
4.) शोध से इन बातों का भी ख़ुलासा हुआ है कि समुद्र के पानी से स्नान करने से भी अर्थराइटिस रोगियों के दर्द को आराम मिलता है।
5.) इसी के साथ साथ अरंडी के तेल से मालिश करने पर भी गठिया के रोगियों को तीव्र दर्द से काफ़ी आराम मिलता है।
ये हैं गठिया से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें। इस लेख में हमने गठिया या अर्थराइटिस के कारण, लक्षण और निवारण पर एक महत्वपूर्ण चर्चा की है।हमने कोशिश की है कि हम अर्थराइटिस से सम्बंधित समस्त महत्वपूर्ण बिंदुओं को इस लेख में कवर करके आपके सामने प्रस्तुत कर सकें। हम आशा करते हैं कि यह लेख आपकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा। इसी के साथ साथ आपको गठिया से सम्बंधित महत्वपूर्ण बातों की भी जानकारी हो गई होगी। लेख से संबंधित सवालों और सुझावों को आप कॉमेंट बॉक्स में लिखकर हमसे शेयर कर सकते हैं।
विशेष- अर्थराइटिस की बीमारी काफ़ी पीड़ादायक बीमारी होती है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को काफ़ी दर्द का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हमारी सबसे पहली सलाह यही है कि अर्थराइटिस के रोगियों को डॉक्टर से मिलना आवश्यक है। डॉक्टरी सलाह के पश्चात बचाव के तरीक़ों पर ध्यान देना चाहिए और घरेलू उपचार अपनाना चाहिए। उपचारों में सबसे पहला उपचार डॉक्टरी उपचार ही होना चाहिए।