आज हमारे लेख का विषय है डिप्रेशन! डिप्रेशन क्यों होता है? इसके लक्षण क्या हैं? इसका निवारण कैसे होता है और इस पर रोकथाम कैसे किया जाए! आज हम इन सभी चीजों के बारे में जानेंगे। जिस प्रकार एक सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार हर चीज के भी दो पहलू होते हैं! यदि डिप्रेशन का अस्तित्व है तो इसका निवारण भी है।
आज इसी की चर्चा हम इस लेख में करेंगे।
तनाव या डिप्रेशन एक प्रकार का मानसिक रोग है। किसी भी नकारात्मक विचार के कारण यह हमारे दिमाग़ पर हावी हो जाता है जिससे हमारी मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है। इसके कारण हमारा मस्तिष्क सही से कार्य करना बन्द कर देता है। इसी स्थिति को डिप्रेशन कहा जाता है। डिप्रेशन को हिंदी में अवसाद के नाम से जाना जाता है। विभिन्न चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक नकारात्मक बीमारी है जो हमारे सोचने की क्षमता और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करती है।
यह हमारे मस्तिष्क में सकारात्मक सोच को हटाकर नकारात्मक सोच को जन्म देती है। इसके परिणाम स्वरूप हम अपना समय बर्बाद कर सकते हैं और अपनी उत्पादन क्षमता व सोचने समझने की क्षमता को कम कर सकते हैं जिससे हमारे शरीर पर बुरी तरह से प्रभाव पड़ सकता है! यह हमारे मन से संबंधित एक प्रकार की बीमारी है। जिंदगी में कभी ना कभी वह पल ज़रूर आता है जिसमें हम उदास और हताश हो जाते हैं। असफलता व संघर्ष के कारण हमें दुख होता है लेकिन यह आम बात है। यदि उस दुख को लेकर हम बैठे रहें और ये निराशा, हताशा, लाचारी आदि कुछ महीनों तक ऐसे ही चलती रहे तो यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। यही डिप्रेशन बन जाता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार दुनिया भर में लगभग 20 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं। भारत में भी यह समस्या काफ़ी ज्यादा है। यह हमारे देश के लिए एक बहुत गंभीर समस्या है।डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है जो सामान्यतः किशोरावस्था या 30 से लेकर 40 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा होती है लेकिन यह कहना पूरी तरह उचित नहीं है। यह एक ऐसी बीमारी है जो मनुष्य को किसी भी उम्र में हो सकती है। अगर हम पुरुष और महिला की तुलना करें तो महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या ज्यादा होती है जिस के कई कारण हो सकते हैं जैसे मानसिक कारकों के अलावा हार्मोंस का असंतुलित होना, गर्भावस्था, अनुवांशिक विकृतियां आदि।
डिप्रेशन कई प्रकार का हो सकता है। यह उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है कि किस प्रकार का डिप्रेशन है। कुछ लोगों में यह बहुत ही कम होता है और कुछ लोगों में यह बहुत ज्यादा होता है। जिन लोगों में यह गंभीर रूप से पाया जाता है वे लगातार डिप्रेशन का शिकार होते रहते हैं।
डिप्रेशन के कुछ विशेष प्रकार निम्नलिखित हैं-
1.) मेजर डिप्रेशन
2.) बाइपोलर डिसऑर्डर(Bipolar Disorder)
3.) साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर
4.) पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर(Post Traumatic Stress Disorder)
5.) सिकोटिक डिप्रेशन(Psychotic Depression)
6.) ए टिपिकल डिप्रेशन(Atypical Depression)
डिप्रेशन का कोई एक कारण नहीं होता क्योंकि यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि किसी को डिप्रेशन किस कारण से हुआ है। किसी व्यक्ति को डिप्रेशन चिंता के कारण हो सकता है तो किसी के डिप्रेशन की कोई और वजह हो सकती है। चिकित्सकों व एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि डिप्रेशन के पीछे किसी कारण की कोई भूमिका नहीं होती। ये अलग-अलग कारणों से हो सकता है।
ऐसे में डिप्रेशन के कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हैं-
1. अस्वस्थ मनोदशा
अस्वस्थ मनोदशा एक ऐसी मनोदशा होती है जिसके कारण हमें सुख का अनुभव नहीं होता। इसमें चिंता, उदासीनता, खालीपन, निराशा, घबराहट आदि सम्मिलित हैं। इन सभी के कारण अगर हमें सुख ना मिले तो हम हमेशा दुखी रहते हैं और इन सब के कारण हमारी उर्जा का नुक़सान होता रहता है। हमारा मानसिक स्तर प्रभावित होता रहता है।अस्वस्थ मनोदशा के कारण हमें डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। हमारे मन में नकारात्मक विचार उठते रहते हैं। हम अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। इसी के साथ साथ हमें बार बार निराशा का अनुभव होता रहता है। अस्वस्थ मनोदशा के कारण हम जल्दी इरिटेट हो जाते हैं। अच्छे काम को भी हम बुरा कह जाते हैं।
हम भला बुरा सोचने पर मजबूर हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में इंसान सदा लाचारी की स्थिति में रहता है। उसे सदा निराशा घेरे रहती है। वह अपने आस पास किसी को पसंद नहीं करता। अकेलापन उसे अच्छा लगने लगता है अगर कोई उसे अच्छी बात भी समझाता है तो वह उसे कांटे की तरह चुभने लगती है।हर बात पर वह लड़ाई झगड़ा करने पर उतर जाता है। वह हमेशा अपनी भविष्य की चिंता करता है और इसी के चलते व्यक्ति वर्तमान स्थिति में हो रही आनंददायक चीज़ों का सुख भी महसूस नहीं कर पाता है। ये सारी चीज़ें डिप्रेशन को जन्म दे सकती हैं।
2. निद्रा की कमी
मनुष्य को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरूरी है नींद पूरी करना। एक वयस्क इंसान को 24 घंटे में कम से कम 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेने की आवश्यकता होती है।अगर वह अपनी नींद पूरी नहीं कर पाता है तो उसे थकावट महसूस होगी। थकावट के कारण उसे हर काम में आलस्य लगेगा। इन्हीं सब कारणों से उसका पूरा शरीर भारी रहेगा और वह खुद को तरोताजा महसूस नहीं कर पाएगा। नींद की कमी से व्यक्ति का किसी भी कार्य में दिल नहीं लगता। फलस्वरूप वो अपने काम को टालता रहता है। इससे न सिर्फ़ काम ही पीछे रह जाता है बल्कि व्यक्ति को भयंकर डिप्रेशन भी हो सकता है।नींद की कमी से मस्तिष्क अशांत हो जाता है जिससे ना चाहते हुए भी दिमाग़ में नकारात्मक विचार आते हैं। इससे डिप्रेशन की समस्या का जन्म हो सकता है।
3. संज्ञानात्मक
संज्ञानात्मक अर्थात सोचने की क्षमता का कम होना। इसके कारण व्यक्ति की एकाग्रता में कमी हो सकती है। वह हर काम धीमी गति से करता है। वह हर छोटी छोटी चीजों को भूल जाता है और उसे कुछ भी याद नहीं रहता। उसे कुछ नई और कुछ पुरानी बातें याद आती रहती हैं। ये सब चीज़ें है जो मनुष्य को डिप्रेशन का शिकार बना सकती हैं।
4. नशा
नशा यह एक ऐसी आदत है जिसमें लोग वास्तविकता से दूर रहते हैं। उनमें वास्तविकता स्वीकार करने की शक्ति नहीं होती। एक प्रकार से हम यह कह सकते हैं कि नशे से ग्रस्त लोग डरपोक हो सकते हैं। नशा करने वाला कोई भी व्यक्ति जीवन के उतार चढ़ाव का सामना करने की क्षमता को खो देता है। नशे से ग्रस्त कोई भी इंसान वास्तविकता से इतना दूर हो जाता है कि यदि उसे वास्तविक जीवन की थोड़ी भी परेशानी सामने दिखती है तो वह तुरंत डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। नशा डिप्रेशन का एक बहुत बड़ा कारण है।
अन्य कारण-
1.) तनावपूर्ण घटनाएं
2.) आर्थिक समस्या
3.) पुरानी बीमारी
4.) मानसिक बीमारी का व्यक्तिगत इतिहास
अनुवांशिक और मनो-सामाजिक असंतुलन के कारण भी डिप्रेशन हो सकता है। इसके अनेक भौतिक कारण भी हो सकते हैं जैसे कुपोषण, मौसम, बीमारी, हार्मोन, आदि। 90% डिप्रेशन के मरीज नींद की समस्या के ग्रस्त होते हैं। वह ना तो ढंग से सो पाते हैं और ना ही अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर पाते हैं। डिप्रेशन का एक कारण हमारा समाज भी है। समाज के डर से कुछ लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। समाज के लोग क्या कहेंगे इस डर से इंसान अपनी बनी बनाई हुई जिंदगी को बेकार कर लेता है।
1.) आत्मसम्मान की कमी
2.) बेवजह थकान महसूस होना
3.) उदास मन
4.) बेचैनी या एंग्जाइटी(Anxiety)
5.) चिड़चिड़ापन
6.) ऊर्जा के स्तर में गिरावट या सुस्ती
7.) निराशा महसूस होना
8.) सोचने और निर्णय लेने में कठिनाई
9.) ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
10.) कुशलता से काम करने में असमर्थता
11.) अपराध बोध और बेकार की बातों के बारे में सोचना
12.) सिर और शरीर में दर्द
13.) मांसपेशियों में दर्द
14.) दूसरों से अलग होना
15.) नींद में गड़बड़ी व नींद के चक्र में बदलाव।
16.) भूख में परिवर्तन
अगर ये लक्षण हमें लंबे समय तक दिखें तो जल्द से जल्द मनोचिकित्सक से मिलकर टेस्ट करवाना चाहिए अन्यथा ये हमारे लिए घातक साबित हो सकता है।
यदि आप डिप्रेशन से पीड़ित हैं तो घबराइये नहीं इसका इलाज है। आप इससे बाहर निकल सकते हैं। बस आप को थोड़ा हौसला रखना पड़ेगा जो आप को डिप्रेशन से निकालने में सहायक होगा। इसके इलाज के लिए आप को डॉक्टर से बात करनी चाहिए। उससे आप अपने डिप्रेशन को खत्म कर सकते हैं। इसका निवारण हम निम्न प्रकार से कर सकते हैं-
1.) नियमित व्यायाम
एक मनुष्य को हफ्ते में कम से कम 3 से 5 दिन, 30 मिनट के लिए व्यायाम अवश्य करना चाहिये। नियमित व्यायाम शरीर में एंडोर्फिन्स नामक हार्मोन को बढ़ाता है जो मूड को अच्छा करता है जिसके कारण हम स्वस्थ रहते हैं।
2.) शराब और नशीले पदार्थ का सेवन ना करें
शराब और नशीले पदार्थ आपको कुछ समय के लिए राहत पहुंचा सकते हैं पर लम्बे समय तक इसका सेवन डिप्रेशन और चिंता को और बढ़ा सकता है। इसकी आदत पड़ जाने पर आप इसे आसानी से छोड़ नहीं सकते जो आपके शरीर के लिए बहुत हानिकारक है। इसलिए शराब और नशीले पदार्थ का सेवन ना करें
3.) खुद का ख्याल रखें
आप स्वयं की देखभाल करके डिप्रेशन के लक्षणों में सुधार कर सकते हैं। इसके लिए अच्छी नींद लीजिये। स्वस्थ आहार खाएं, नकारात्मक लोगों से दूर रहें, और आनंददायक गतिविधियों में भाग लें। अपने आहार मे साबुत अनाज, फल, सब्जियाँ, प्रोटीन, अंडे आदि को शामिल करें।
4.) लाइट थेरेपी
व्हाइट (सफ़ेद) लाइट की सहायता से डिप्रेशन का निवारण किया जा सकता है और मस्तिष्क को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इस थेरेपी का इस्तेमाल मेजर डिप्रेसिव डिसॉर्डर का इलाज करने में किया जाता है।
5.) मनोचिकित्सक की सहायता लें
इसमें आप अपने मनोचिकित्सक के साथ बात करके नकारात्मक भावनाओं से निपटने के लिए कौशल सीख सकते हैं। आप परिवार या समूह चिकित्सा सत्र से भी लाभ उठा सकते हैं।
डिप्रेशन एक बहुत ही आम लेकिन गंभीर समस्या है जिससे बाहर आने के लिए व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता की ज़रूरत भी पड़ सकती है। डिप्रेशन पागलपन नहीं होता है। डिप्रेशन के मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। डिप्रेशन के ईलाज के लिए सही जानकारी बहुत ज़रूरी है। इस समस्या से निजात पाने में चिकित्सक, मरीज़, मरीज़ के परिवार और दोस्तों का सहयोग बहुत ज़रूरी होता है।