हमारे शरीर में कई प्रकार के पदार्थ पाए जाते हैं जो शरीर के लिए महत्वपूर्ण भी माने जाते हैं। ऐसा ही एक पदार्थ है कोलेस्ट्रॉल। कोलेस्ट्रॉल वसा के समान दिखने वाला पदार्थ होता है जो कुछ हार्मोंस के निर्माण, पाचन व पाचन की क्रियाविधि इत्यादि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
कोलेस्ट्रॉल पानी में घुलने में असमर्थ होता है। शरीर के एक अंग से दूसरे अंग तक जाने में ये रक्त प्रवाह का सहारा लेता है। शरीर में पाए जाने वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को विभिन्न अंगों तक पहुँचाने का कार्य करते हैं।
शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल का बढ़ना अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसे पदार्थ जिनमें वसा (फैट) की मात्रा अधिक होती है उनका अधिक सेवन करने से बचना चाहिए। दरअसल अत्यधिक वसायुक्तपदार्थों के सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अविश्वसनीय रूप से बढ़ सकता है। ज़्यादा मात्रा में वसायुक्त पदार्थों का सेवन करने से शरीर में लो डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। लो डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल को ख़राब कोलेस्ट्रॉल भी कहते हैं।
हमारे शरीर में लिपोप्रोटीन के दो प्रमुख रूप विद्यमान् रहते हैं- लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन तथा हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन। लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन को ख़राब कोलेस्ट्रॉल तथा हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन को अच्छे कोलेस्ट्रॉल के नाम से भी जाना जाता है। हमारे शरीर के लिए ख़राब कोलेस्ट्रॉल के स्तर का बढ़ना तथा अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर का घटना दोनों ही स्थितियां ख़तरनाक मानी जाती हैं।
इस प्रकार की दोनों ही स्थितियों में रक्त वाहिकाओं में वसा के जमने का ख़तरा बढ़ जाता है। इससे रक्त वाहिकाएं संकरी हो सकती हैं जिससे रुधिर प्रवाह बाधित होकर हृदय को नुक़सान पहुँचा सकता है।
रिपोर्ट्स की बात करें तो भारत में आज अत्यधिक जनसंख्या का मामला निकलकर सामने आ रहा है। यह भारत के लिए एक बड़ी समस्या है परंतु इसी के साथ साथ ख़राब स्वास्थ्य भी भारतीय समाज के लिए एक विकट समस्या बनी हुई है।
रिपोर्ट्स में जनसंख्या के एक बड़े पैमाने को हाई कोलेस्ट्रॉल से जूझते हुए पाया गया है। शहर की लगभग 25-30% आबादी उच्च कोलेस्ट्रॉल से जूझ रही है। वहीं दूसरी ओर गाँव में लगभग 15-20% की आबादी इस समस्या का सामना कर रही है।
इस प्रकार यह देख सकते हैं कि हाई कोलेस्ट्रॉल आज के लोगों को काफ़ी बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहा है।
हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण
शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर के बढ़ जाने पर कई अन्य बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है। हालाँकि हाई कोलेस्ट्रॉल का कोई विशेष लक्षण नहीं है परंतु यदि शरीर में ख़राब कोलेस्ट्रॉल एक निश्चित से अधिक मात्रा में विद्यमान् है तो ऐसे में शरीर को घातक रूप से कई बीमारियां घेर सकती हैं।
अब ऐसे में ये बात आती है कि हम कैसे पता लगाएं कि हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर हाई है या नहीं। इसके लिए हम कुछ ज़रूरी बातें ध्यान में रख सकते हैं।
ऐसे लोग जो 20 वर्ष या उससे अधिक की आयु श्रेणी में आते हैं उन्हें पाँच वर्षों में कम से कम एक बार अपने रक्त की जाँच करवानी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल कितनी मात्रा में है।
कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जाँच हेतु लिपीप्रोटीन प्रोफ़ाइल नामक एक रक्त परीक्षण उपलब्ध है।
वंशानुगत कारकों के तौर पर भी हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है। यदि परिवार में कभी किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या रही है तो ऐसे में चिकित्सक आपको समय समय पर कोलेस्ट्रॉल स्तर की जाँच करवाने के लिए सलाह दे सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण
असंतुलित आहार कई बीमारियों को सीधा निमंत्रण भेज सकता है। ऐसे भोज्य पदार्थ जिनमें अत्यधिक मात्रा में सैचुरेटेडफ़ैट व ट्रांस फ़ैट विद्यमान् होते हैं उनका सेवन भी हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण बन सकता है। यदि आप मछली, अंडे, पनीर, मक्खन, दूध इत्यादि का सेवन करते हैं तो आपको इनकी अति नहीं करनी चाहिए। ये सभी आहार शरीर के लिए ज़रूरी भी हैं लेकिन इनकी एक निश्चित मात्रा ही आपको अपने आहार में शामिल करना चाहिए। ऐसे लोग जो जंक फूड्स, चिप्स व कोक का सेवन करते हैं उन्हें भी निश्चित मात्रा में ही इन सब पदार्थों को खाना चाहिए। कोशिश करें कि आप जंक फ़ूड से जितना हो सके बचें।
बढ़ती उम्र शरीर को कई बीमारियों की ओर ले जा सकती है। बीस साल की उम्र के बाद भी हाई कोलेस्ट्रॉल का ख़तरा प्राकृतिक रूप से बढ़ने लगता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल के मामले लिंग के आधार पर भी सामने आते हैं। पुरुषों में कोलेस्ट्रॉल 50 वर्ष की आयु के बाद कम होता है जबकि महिलाओं में मेनोपॉज़ तक ये कम मात्रा में ही बना रहता है।
जिन लोगों के परिवार में कभी किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या रही है तो उन्हें अपने रक्त की समय समय पर जॉंच कराते रहना चाहिए। ऐसे लोगों में हाई कोलेस्ट्रॉल का ख़तरा सामान्य लोगों की तुलना में ज़्यादा रहता है।
जो लोग धूम्रपान करते हैं उन्हें सतर्क हो जाना चाहिए। धूम्रपान शरीर में कई बीमारियों को आमंत्रित करता है जिनमें से एक बीमारी हाई कोलेस्ट्रॉल या ख़राब कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने की भी हो सकती है।
शरीर में ऊर्जा प्रवाह को सही प्रकार से बनाए रखने के लिए व्यायाम की आवश्यकता होती है। इससे शरीर एक्स्ट्रा फ़ैट को बर्न करता है अर्थात जमी हुई अतिरिक्त वसा को ख़त्म करने में सक्षम होता है। व्यायाम की कमी के कारण ख़राब कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का ख़तरा होता है।
मधुमेह से जूझ रहे लोगों में हाई कोलेस्ट्रॉल की संभावना सामान्य लोगों की तुलना में अधिक होती है।
हाई कोलेस्ट्रॉल से बचाव किस प्रकार किया जा सकता है?
हमने हाई कोलेस्ट्रॉल को जन्म देने वाले कई कारकों के बारे में चर्चा की है। तो आइए अब हम देखते हैं कि हम किस प्रकार हाई कोलेस्ट्रॉल से बच सकते हैं।
यदि आप हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचना चाहते हैं तो ऐसे में सबसे पहले आपको अपने आहार पर ध्यान देना होगा। अपने आहार में कैलोरीज की मात्रा पर नज़र रखें। अगर आप जंक फ़ूड के अत्यधिक शौक़ीन है तो आपको अपने इस शौक़ को धीमा करना होगा। अपने आहार में जंक फ़ूड को हटाकर पोषण युक्त पदार्थों को शामिल करें। अनाज, मटर और सेम का सेवन करें। आप डाइट एक्सपर्ट से भी सलाह ले सकते हैं।
ऐसे भोज्य पदार्थ खाएं जिनमें सैचुरेटेडफ़ैट की मात्रा कम होती है।
धूम्रपान की लत को तुरंत ख़त्म करें। सिगरेट, शराब या मसाला खाना स्वास्थ्य के लिए कहीं से भी फ़ायदेमंद नहीं है। ये शरीर को ना सिर्फ़ कैंसर देता है बल्कि इससे मस्तिष्क और हृदय की भी कई बीमारियां हो सकती हैं।
अपने वज़न को नियंत्रित करें। यदि आप पुरुष हैं और आपकी कमर का माप 40 इंच या इससे ज़्यादा है तो ये हाई कोलेस्ट्रॉल को निमंत्रण भेज सकता है। ठीक इसी प्रकार वे महिलाएँ जिनकी कमर का माप 35 इंच या इससे ज़्यादा है तो उन्हें भी हाई कोलेस्ट्रॉल का ख़तरा हो सकता है।
प्रतिदिन व्यायाम की आदत डालें। इससे शरीर में जमा होने वाली अतिरिक्त वसा को कम किया जा सकता है। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि व्यायाम के माध्यम से शरीर को एक नई स्फूर्ति और ऊर्जा भी प्रदान की जा सकती है।
अपनी जीवनशैली में उचित बदलाव करें। वैसे तो ख़राब आदतों को छोड़ना काफ़ी मुश्किल होता है लेकिन आप इसकी शुरुआत करें। पहले तो आपको धूम्रपान इत्यादि को छोड़ना थोड़ा मुश्किल लगेगा लेकिन बाद में ये धीरे धीरे कम होने लगेगा।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से क्या क्या समस्याएं देखने को मिल सकती हैं?
यदि शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति उत्पन्न हो गई है तो इससे एथेरोस्क्लेरोसिस हो सकता है। ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें धमनियों की दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है। इससे धमनियां संकरी हो जाती है और रक्त प्रवाह बाधित होने लगता है। इस तरह की स्थिति उत्पन्न होने से व्यक्ति को सीने में दर्द की समस्या हो सकती है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण हमारे हृदय को काफ़ी ख़तरा हो सकता है। जब शरीर में जमने वाले कोलेस्ट्रॉल या फ़ैट के कण टूटते हैं तो ऐसे में ये खून का थक्का बना सकते हैं। इससे रुधिर प्रवाह अवरुद्ध होगा जिससे हार्ट अटैक के चांसेस बढ़ जाते हैं। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि यदि मस्तिष्क के किसी भाग में रक्त का थक्का बनता है तो इससे हार्ट स्ट्रोक भी हो सकता है।
किन पदार्थों को खाने से हाई कोलेस्ट्रॉल का सामना करना पड़ सकता है?
शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल मौजूद होते हैं। एक जो शरीर के लिए हानिकारक और एक जो शरीर के लिए अच्छा होता है। हमारे शरीर की कोशिकाओं में कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है। ये मोम जैसा पदार्थ होता है जो कोशिकाओं को टूटने से बचाने में काफ़ी फ़ायदेमंद होता है। इसी के साथ साथ अच्छा कोलेस्ट्रॉल हॉर्मोन्स और विटामिन की उत्पत्ति में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कोलेस्ट्रॉल शरीर की सभी कोशिकाओं में घूमता रहता है और इसकी अधिक मात्रा हृदय और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाना सीधे तौर पर हार्ट स्ट्रोक को निमंत्रण दे सकता है। यदि आप अंडे खाने के शौक़ीन हैं तो आपको अत्यधिक मात्रा में अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। अंडे की जर्दी में लगभग 186 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है। इसी के साथ चीज़ में भी कोलेस्ट्रॉल की काफ़ी ज़्यादा मात्रा पाई जाती है।
फ़ास्ट फ़ूड और ऑयली पदार्थों में भी काफ़ी मात्रा में कोलेस्ट्राल विद्यमान्र रहता है। झींगे के चार आउंस में 170 मिलीग्राम तक का कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है। इस प्रकार इन सभी चीज़ों से बचना ज़रूरी है।
कन्क्लूजन
बाज़ार में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए कई दवाइयां मौजूद हैं। यदि किसी व्यक्ति को हाई कोलेस्ट्रॉल हो जाता है तो ऐसे में वह बाज़ार में उपस्थित दवाइयों का सेवन कट कर सकता है लेकिन एक बात का ख़याल रखना चाहिए कि किसी भी दवाई को लेने से पहले डॉक्टरी परामर्श सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।
यदि आपको किसी भी प्रकार की कोई समस्या महसूस होती है तो सबसे पहले आपको डॉक्टरी चेकअप कराना चाहिए और उसके बाद ही किसी प्रकार की कोई दवा का सेवन करना चाहि