साल 2019 का अंत आते आते इस दुनिया ने एक भयंकर महामारी का सामना किया जिसे कोरोना वायरस के नाम से जानते हैं। कोरोना वायरस के कई वैरिएंट्स अब तक देखे जा चुके हैं। कोरोना वायरस की वैक्सीन तथा अन्य गाइडलाइंस को फ़ॉलो करने के पश्चात भी कोरोना वायरस को पूर्णतः इस दुनिया से अभी ख़त्म नहीं किया जा सका है।
हाल ही में कोरोना वायरस के नए केसेस भारत में देखे गए हैं। आज के अपने इस लेख में हम कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट पर एक विशेष चर्चा करेंगे। इसी के साथ साथ हम यह देखेंगे कि इस वायरस के क़हर से बचने के लिए हम टेली मेडिसिन को किस प्रकार अपने उपयोग में ला सकते हैं।
कोरोना वायरस के नये वेरिएंट के बारे में
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट को मानव जाति के लिए एक नई चिंता के रूप में देखा जा रहा है। इस वेरिएंट का नाम आर्कटुरस है जो क्रैकेन वेरिएंट की अपेक्षा 1.2 गुना अधिक संक्रामक और ख़तरनाक है।
ओमीक्रॉन के लगभग 600 से ज़्यादा सब वेरिएंट पाए जाते हैं तथा कोरोना वायरस का ये नया वेरिएंट ओमीक्रॉन के 600 से अधिक वेरिएंट्स में से एक है। ये वेरिएंट अब तक का सबसे ज़्यादा संक्रामक वैरिएंट माना जा रहा है। दरअसल ओमीक्रॉन के सब वेरिएंट XBB.1.16 को आर्कटुरस नाम दिया गया है। आर्कटुरस वेरियंट XBB.1.15 के समान ही लक्षण प्रदर्शित करता है।
आर्कटुरस वैरिएंट सबसे पहले जनवरी माह में पाया गया था। न्यू यॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी शो के राजेंद्रम राजनारायणन के अनुसार आर्कटुरस वेरिएंट कई देशों जैसे कैलिफोर्निया, अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, वर्जीनिया, न्यूजर्सी, टैक्सास, न्यूयॉर्क व भारत सहित लगभग 22 देशों में पाया गया है। इस वेरिएंट के सबसे ज़्यादा मामले भारत में पाए गए हैं।
जैसा कि ये बात देखी गई है कि आर्कटुरस वैरिएंट पिछले वेरिएंट्स की अपेक्षा ज़्यादा संक्रामक है और इसी कारण संक्रमण के मामलों में पिछले महीने लगभग 13 गुना वृद्धि पाई गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार इस वेरिएंट पर अपनी नज़रें जमाए हुए है और यहाँ तक ये भी माना जा रहा है कि ये वैरिएंट चिंता का विषय बन सकता है।
मार्च 2023 के अंत में विश्व स्वास्थ्य संगठन की टेक्निकल लीड मारिया वैन केरखोव ने XBB.1.16 वेरिएंट के बारे में ये बताया था कि इस नए वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में एक अतिरिक्त म्यूटेशन पाया जाता है जो संक्रमण और बीमारी पैदा करने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इसी के साथ साथ यह अब तक का सबसे ज़्यादा फैलने वाला वैरिएंट भी माना जा रहा है।
एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिकों के अनुसार भी यही माना जा रहा है कि यह वैरिएंट करोना के अन्य वेरिएंट्स की अपेक्षा अधिक घातक साबित हो सकता है। कोरोना वायरस के शुरुआती मामलों में जिस प्रकार लक्षण देखे जा रहे थे उसके विपरीत इस वेरिएंट के लक्षण थोड़े अलग हो सकते हैं। इस वेरिएंट से पीड़ित व्यक्ति को फ्लू से मिलते जुलते लक्षण दिखाई दे सकते हैं। एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि आने वाले 10-12 दिनों तक इस वेरिएंट के मामले बढ़ते रहेंगे लेकिन उसके बाद ये कम होना प्रारंभ हो जाएंगे।
कितना घातक होगा ये नया वेरिएंट?
अब सवाल ये उठता है कि क्या कोरोना वायरस का ये नया वेरिएंट पिछले वैरिएंट्स की अपेक्षा अधिक घातक है? तो एक्सपर्ट्स के अनुसार यह चिंता का विषय माना जा सकता है। दरअसल आर्कटुरस की स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन होता है जिसके कारण ये संक्रमण और अन्य बीमारियों के जोखिम के ख़तरे को बढ़ाने में काफ़ी तेज़ी लाता है। डॉक्टर मारिया के अनुसार इस वेरिएंट के संक्रमण की गंभीरता में अभी तक किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं देखा गया है किन्तु बायोलॉजी रिसर्च की वेबसाइट BioRxiv पर प्रकाशित हुई टोक्यो यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि आर्कटुरस वेरिएंट पिछले वेरिएंट क्रैकेन की अपेक्षा लगभग 1.2 गुना अधिक संक्रामक है और यही कारण है कि ये आने वाले समय में पूरे विश्व में फैलने की क्षमता रखता है। इस प्रकार ये वेरिएंट पिछले वैरिएंट्स की तुलना में थोड़ा अधिक घातक हो सकता है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार इस नए वेरिएंट के म्यूटेशन के कारण ये प्रतिरक्षा तंत्र को चैलेंज करता है। आसान शब्दों में कहें तो इस म्यूटेशन के कारण व्यक्ति की इम्यूनिटी पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है हालाँकि अभी स्पष्ट रूप से इस बात का दावा नहीं किया जा सकता है कि आर्कटुरस वेरिएंट के मामलों में कोरोना के लिए बनायी गई पहले की वैक्सीन को उपयोग में लाना फ़ायदेमंद होगा या नहीं।
आर्कटुरस वेरिएंट के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना के इस नए वेरिएंट के कारण बच्चों में ऐसे लक्षण पैदा हो सकते हैं जो ओमीक्रॉन के अन्य वेरिएंट्स में नहीं देखे गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैक्सीन सेफ़्टी नेट के सदस्य, इंडियन एकेडमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स के पूर्व संयोजक और मंगला हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर बिजनौर के कंसल्टेंट डॉक्टर विपिन वशिष्ठ के अनुसार आर्कटुरस के लक्षण कुछ हद तक कोरोना वायरस के पिछले वेरिएंट के लक्षणों से मिलते जुलते हो सकते हैं लेकिन ये फ्लू के लक्षणों से ज़्यादा मेल खाते हैं। डॉक्टर विपिन वशिष्ठ अनुसार तेज बुखार, ख़ांसी, आँखों में खुजली, आँखों में चिपचिपापन और गुलाबी आँखों जैसे लक्षण भी आर्कटुरस में पाए जाते हैं।
रिचर्ड रिथिंगर जो कि आरटीआई इंटरनेशनल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ हैं, उनका मानना है कि इस वायरस के लक्षण कितने बदल गए हैं और ये पहले की तरह है या नहीं, इस बारे में कुछ भी कह पाना थोड़ी जल्दबाज़ी होगी। कंजंक्टिवाइटिस जो नेत्र का एक संक्रामक रोग है वह भी कोरोना के इस नए वेरिएंट के लक्षण के रूप में बताया जा रहा है।
आर्कटुरस से बचाव कैसे करें?
कोरोना वायरस के किसी भी वैरिएंट से बचाव करना अत्यंत आवश्यक है। जैसा कि ये माना जा रहा है कि कोरोना वायरस का ये नया वेरिएंट आर्कटुरस दरअसल पिछले वैरिएंट्स की अपेक्षा अधिक संक्रामक है तो ऐसे में हमें ज़्यादा जागरूक होने की आवश्यकता है। यदि आपको फ्लू या इस प्रकार के किसी भी तरह के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत स्वयं को दूसरों से आइसोलेट या अलग करना चाहिए।
किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर बिलकुल भी घबराएँ नहीं। बदलते मौसम के कारण भी लोगों को फ्लू हो जाता है इसलिए यदि आपको ऐसा कुछ भी लग रहा है तो ऐसे में आपको तुरंत जाँच करानी आवश्यक है।
इस बात का विशेष ख़याल रखें कि बाहर निकलते वक़्त आप मास्क आवश्यक रूप से लगाएँ। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। सार्वजनिक स्थलों पर जहाँ लोगों की भीड़ भाड़ हो वहाँ पर जाने से बचें। वैक्सीन अवश्य लगवाएँ।सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, गले में ख़राश, नाक बहना और ख़ांसी आना कोरोना वायरस के पुराने लक्षणों के रूप में जाना जाता है लेकिन यह इस नए वेरिएंट में भी पाए जा सकते हैं।
आर्कटुरस से निपटने में टेली मेडिसिन
टेली मेडिसिन उपचार का एक ऐसा माध्यम है जो इंटरनेट तथा संचार माध्यमों के द्वारा लोगों तक पहुंचाया जाता है। टेली मेडिसिन में व्यक्ति को फिजिकल रूप से डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती बल्कि वह इंटरनेट पर वीडियो कॉल अथवा कॉल या मेसेज के माध्यम से डॉक्टर से जुड़ सकता है।
आर्कटुरस वेरिएंट एक घातक संक्रामक वैरिएंट है तो ऐसे में यदि हम टेली मेडिसिन का सहारा लेकर ख़ुद को ठीक करना चाहते हैं तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
यदि जाँच में ये बात स्पष्ट हो गई है कि आपको कोरोना का संक्रमण हो गया है तो ऐसे में आप टेली मेडिसिन के माध्यम से अपने डॉक्टर से लाइव जुड़कर अपना इलाज करवा सकते हैं।
टेली मेडिसिन ग्रामीण क्षेत्रों में उपचार सेवाओं को बेहतर बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोकल डॉक्टर भी टेली मेडिसिन के द्वारा लोगों तक अच्छी उपचार सेवा पहुँचा सकते हैं।
यदि आप भी एक डॉक्टर हैं तो आप टेली मेडिसिन को अपनाकर अनेक लोगों तक उपचार पहुँचाने में मदद कर सकते हैं। स्थानीय डॉक्टर जियो इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड से संपर्क करके टेली मेडिसिन के विषय में अधिक जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
इसके लिए आप जियो की ऑफिशियल वेबसाइट को विज़िट कर सकते हैं। जियो इनोवेशन टेली मेडिसिन के क्षेत्र में एक सराहनीय कार्य कर रहा है। ऐसे में आप अपना रजिस्ट्रेशन इस पोर्टल पर करवा सकते हैं। इससे स्थानीय डॉक्टरों को अनेक लाभ प्राप्त हो सकते हैं। वे न सिर्फ़ अपने स्थानीय लोगों को ही उपचार सेवा उपलब्ध करवा पाएँगे बल्कि वे दूर दूर तक भी लोगों से टेली मेडिसिन के माध्यम से जुड़ने में सक्षम हो सकेंगे। इससे ना सिर्फ़ उनकी ख्याति बढ़ेगी बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी काफ़ी लाभ होगा।
इसलिए आप भी जियो इनोवेशन से जुड़कर टेली मेडिसिन को अपनाकर लाभान्वित हो सकते हैं। एक ऐसे समय में जब कोरोना वायरस का ख़तरा बार बार और घातक रूप में लौटकर आ रहा है तो ऐसे में टेली मेडिसिन के द्वारा न सिर्फ़ अपना बल्कि अपने परिवार और स्थानीय लोगों को भी इस वायरस से लड़ने में मदद कर सकते हैं।